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ઇન્ડિયન પોસ્ટલ ડિપાર્ટમેન્ટ દ્વારા ગ્રામીણ ડાક સેવક (GDS) માટે ભરતી.....*

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નોકરી માટેનું સ્થળ : ગુજરાત, દીવ દમણ , દાદરા નગર હવેલી  પોસ્ટ :  >>>> પોસ્ટમેન (ગ્રામીણ ડાક સેવક-GDS)  (પગાર:Rs.10,000/-) > બ્રાન્ચ પોસ્ટ માસ્ટર (BPM) (પગાર:Rs.12000/-) > આસિસ્ટન્ટ બ્રાન્ચ પોસ્ટ માસ્ટર (ABPM) (પગાર:Rs.10,000/-) ફોર્મ શરૂ થયાની તા. : 21/12/2020  છેલ્લી તા. : 20/01/2021  લાયકાત : 10th પાસ (તેમજ કોમ્પ્યુટર અંગેની જાણકારી અંગેનું સર્ટિ) ઉંમર : 18 થી 40 (ON 21/12/2020) ફોર્મ ભરવા માટે:- ગેલેક્સી ઓનલાઇન,ભાવનગર. BARAIYA JATIN, Mo-9601874063 કુલ જગ્યા : 1826   કેટેગરી પ્રમાણે જગ્યા  જનરલ : 838 ઇ.ડબલ્યુ.એસ. : 201  ઓ.બી.સી. : 412  એસ.સી. : 63  એસ.ટી. : 268  વિકલાંગ A : 12  વિકલાંગ B : 10  વિકલાંગ C : 19  વિકલાંગ D/E : 3  ચલણ :  >> Rs. 100/- (ફક્ત ઓપન, ઓબીસી, ઇ.ડબલ્યુ.એસ. માટે ) >> બાકી અન્ય કેટેગરી માટે : ચલણ નથી.   >> તેમજ સ્ત્રીઓ માટે : ચલણ નથી. ફોર્મ ભરવા માટે જરૂરી ડૉક્યુમેન્ટ  ⇒  ફોટો / સહી ⇒  આધાર કાર્ડ ⇒  લાયકાત પ્રમાણે માર્ક શીટ ⇒  જાતિ અંગેનો દાખલો ⇒  બેન્ક પાસ બુક ⇒  LC (શાળા છોડ્યાનું પ્રમાણપત્ર)

किसानो को मिलेगा बडा लाभ ईस योजना के जरिये, सिर्फ 660 में मीलेगे 36 हजार रुपये kisan mandhan yojana

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       kisan mandhan yojana, કીસાન માનધન યોજનાનો લાભ બધા જ ખેડુતો લઈ શકે છે.દરેક વર્ષ 36000 હજાર રુપિયા ફકત 660 રુપિયા જમા કરાવી મેળવી શકશો.             mfvillage.blogspot.com    👉🏻 શુ છે? આ PMKMY (કિસાન માનધન યોજના)    પ્રધાનમંત્રી દ્વારા શરૂ થયેલી કિસાન માનધન યોજના હેઠળ 60 વર્ષ ની ઊંમર પુર્ણ થયા પછી લાભ મળે છે અને દરેક મહીને 3000 રુપિયાનો લાભ શરુ થઇ જાય છે.    ભારત દેશનનો દરેક કિસાન આ યોજનાનો લાભ લઈ શકે છે, આ યોજનાની સંપુર્ણ માહિતી નીચે  આપી છે.    👉🏻 સૌપ્રથમ રજીસ્ટ્રેશન કરવાનું રહેશે.    👉🏻 પહેલા કિસાન પ્રીમિયમ ભરવું પડે છે, પ્રીમિયમ દર મહીને ભરવાનું હોય છે,જેમાં 50% સરકાર આપે છે અને 50% કિસાને આપવાના હોય છે, દરેક કિસાન 18 થી 40 વર્ષ સુધી પ્રીમિયમ ભરી શકે છે, જો તમે 18 વર્ષની ઊંમરથી જોડાવ તો 55રૂ મહીને પ્રીમિયમ ભરવાનું હોય છે,આમ જ 19 વર્ષ ની ઊંમર થી જોડાવ તો 58રૂ મહીને પ્રીમિયમ ભરવાનું હોય છે,અને 20 માં વર્ષમાં 61રૂ મહીને પ્રીમિયમ ભરવાનું હોય છે આમ 30 માં વર્ષમાં 105રૂ અને 40 ની ઊંમર માં 200રૂ મહીને પ્રીમિયમ ભરવાનું હોય છે, દરેક વર્ષમાં 10 રુપિયાના વધારા સાથે ભરવાના

जाने इंडिया के अर्थतंत्र को कोरोना वायरस जैसी महामारी से कीतना बडा झटका लगेगा

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सरकार का आकलन है कि लॉकडाउन की वजह से कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को कंट्रोल करने में मदद मिली है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोगों और अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंच रही है. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एक रफ आइडिया के हिसाब से अगर लॉकडाउन 30 दिन तक जारी रहता है तो भारत की अर्थव्यवस्था को लगभग 250 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. एक अनुमान के मुताबिक 21 दिनों के लॉक डाउन में भारत की अर्थव्यवस्था को 8.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. अगर लॉकडाउन को जल्दी हटा लिया जाता है तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस नुकसान की भरपाई की जा सकती है, लेकिन अगर लॉकडाउन लंबा खिंचा तो रिकवरी असंभव हो सकती है. लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर कया असर पडेगा?? भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. इसका संक्रमण रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे भारत में 21 दिनों के लॉकडाउन का एलान किया है. इससे देश में आर्थिक गतिविधियों पर ब्रेक लग गया है. विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को इस महामारी को हराने के लिए कुछ और कदम भी उठाने चाहिए. कोरोना के चलते बेरोजगारी,

जाने चिन का झुठ आखिर क्यु चिन चश छुपा रहा हैं,कया करना चाहता है चीन , कया है उसकी रणनिती

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          कोरोना वायरस के चलते कूटनीतिक तनाव की ये इकलौती मिसाल नहीं है. भले ही चीन पर ये आरोप लग रहे हैं कि उसने कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या छुपाई है, फिर भी,कोविड-19 से जुड़े हर कूटनीतिक संघर्ष का ताल्लुक़ चीन से हो ये भी ज़रूरी नहीं. Image copyright लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स के इंस्टिट्यूट ऑफ़ ग्लोबल अफ़ेयर्स की सोफिया गैस्टन ने बीबीसी से कहा, "इस महामारी के वक़्त तमाम देशों से ये उम्मीद थी कि वो इसे साझा चुनौती मान कर आपस में सहयोग करेंगे, ताकि इस संकट का मुक़ाबला कर सकें. पर, हो ये रहा है कि तमाम देश अपने निजी हितों को तरज़ीह दे रहे हैं और सहयोग के बजाय एक दूसरे से होड़ में लग गए हैं." इस बात की एक मिसाल यूरोपीय देशों की एकता में पड़ी दरार भी है. जब इटली में कोविड-19 के संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़े, तो इटली ने अपने पड़ोसी देशों से अपील की कि वो मेडिकल संसाधन मुहैया कराने में उसकी मदद करें. लेकिन, इटली के दो बड़े पड़ोसियों जर्मनी और फ्रांस ने अपने यहां से ऐसे उत्पादनों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी. यूरोपीय यूनियन के मुख्यालय ब्रसेल्स में इटली के राजदू

क्या वाकई होगा IPL 2020 का आयोजन, BCCI के अधिकारी ने दिया बड़ा बयान, जाने आगे कया हो सकता हैं,

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mfvillage.blogspot.com                                      श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) अभी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आयोजन का इच्छुक है, लेकिन भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के एक प्रभावशाली व्यक्ति ने कहा कि अभी कोविड-19 महामारी से जूझ रही दुनिया में इस तरह के प्रस्ताव पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है।        आईपीएल पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 29 मार्च से 24 मई के बीच आयोजित किया जाना था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। बोर्ड चीजें सामान्य होने के बाद ही इसका आयोजन करेगा। एसएलसी के अध्यक्ष शम्मी सिल्वा ने गुरुवार को कहा था कि श्रीलंका इस टूर्नामेंट का आयोजन अपने देश में करने के लिए तैयार है, जहां कोविड-19 से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत कम है और भारत की तुलना में वहां चीजें जल्द सामान्य होने की संभावना है।           बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, ‘जब दुनिया में सब कुछ ठप्प पड़ा है तब बीसीसीआई कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।' श्रीलंका में

कया आप गॉव के बारे मे जानना चाहते हैं,

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भारत एक कृषि प्रधान देश है । प्राचीन काल से ही हमारे देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि ही रहा है । कृषि पर हमारी निर्भरता के साथ ही यह भी तथ्य हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि देश की सत्तर-प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या गाँवों में ही निवास करती है । किसी कवि ने सत्य ही लिखा है – ” है अपना हिंदुस्तान कहाँ, यह बसा हमारे गाँवों में । ” अत: भारतवर्ष के महत्व का वास्तविक मूल्यांकन यहाँ के गाँवों से ही संभव है । उन्हें किसी भी दृष्टिकोण से पृथक् नहीं किया जा सकता है । प्राचीन काल में ‘सोने की चिड़िया’ कहलाने वाला हमारा देश धन-धान्य से परिपूर्ण था परंतु विदेशियों के निरंतर आक्रमण तथा इसके पश्चात् अंग्रेजों का आधिपत्य होने के उपरांत भारतीय गाँवों की दशा अत्यंत दयनीय व सभी के लिए चिंता का विषय बन गई । भारतीय गाँव समय के साथ बेरोजगारी, अज्ञानता तथा पिछड़ेपन का पर्याय बनकर रह गए ।भारतीय गाँवों की दयनीय व जर्जर अवस्था के अनेक कारण हैं । इतिहास की ओर यदि हम दृष्टि डालें तो हम देखते हैं कि मुगलों के आक्रमण के पश्चात् जब देश में अंग्रेजों का आधिपत्य हुआ, तब गाँवों की दशा अत्यंत चिंतनीय थ